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कांवड़ यात्रा: उत्तराखंड में खाने की दुकान पर लाइसेंस नहीं तो ऐक्शन

कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू हो रही है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है ताकि यात्रियों को शुद्ध और सुरक्षित भोजन मिल सके।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: PTI File Photo)

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हर साल सावन के महीने में लाखों की संख्या में शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। इस दौरान उत्तराखंड में बड़ी भीड़ होती है, खासकर हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य पवित्र स्थानों पर। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है ताकि यात्रियों को शुद्ध और सुरक्षित भोजन मिल सके।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने घोषणा की है कि इस बार यात्रा मार्ग पर मौजूद सभी होटल, ढाबे, ठेले और फूड स्टॉल्स को अपने पंजीकरण या लाइसेंस का प्रमाण पत्र दुकान के बाहर साफ-साफ दिखाना अनिवार्य होगा। जिन दुकानों पर यह प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा, उन्हें तत्काल बंद कर दिया जाएगा।

'फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड' लगाना होगा अनिवार्य

खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि छोटे विक्रेता और ठेले वाले भी अपनी फोटो पहचान पत्र और पंजीकरण की प्रति साथ रखेंगे और दिखाएंगे। सभी ढाबों और रेस्टोरेंट्स को 'फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड' लगाना होगा, जिससे उपभोक्ता यह जान सकें कि खाद्य गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी है।

 

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इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की धारा 55 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अधिकतम दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

खाने में मिलावट मिलने पर होगी कार्रवाई

इसके साथ ही हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी जैसे प्रमुख जिलों में खास फूड सेफ्टी टीमें तैनात की गई हैं। यह सभी टीमें दूध, मिठाइ, मसाले, तेल, पीने वाली चीजे और अन्य खाने की चीजों के नमूने लेकर प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजेंगी। अगर कोई नमूना मानक पर खरा नहीं उतरता है तो उस स्थल को तुरंत बंद कर दिया जाएगा। मिलावट पाए जाने पर आर्थिक दंड के साथ-साथ आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी।

 

स्वास्थ्य सचिव डॉ. कुमार ने बताया कि इस साल करीब 7 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो पिछले साल के 4 करोड़ की तुलना में कहीं अधिक है। ऐसे में पारदर्शिता और कानून-व्यवस्था बनाए रखना बेहद जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने दी यह प्रतिक्रिया

 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कांवड़ यात्रा के 'नेमप्लेट' मुद्दे पर कहते हैं, 'कांवड़ यात्रा हमारी आस्था और भक्ति की यात्रा है, जिसमें हर साल विभिन्न क्षेत्रों से चार करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु हरिद्वार और ऋषिकेश आते हैं। वह सभी गंगा का पवित्र जल अपने क्षेत्रों में ले जाते हैं। कांवड़ यात्रा के मार्ग में आने वाली दुकानें शुद्ध होनी चाहिए और खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि हमने यह निर्णय लिया है। कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। कल मैं इसकी समीक्षा भी करूंगा।'

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लिया गया है फैसला

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत यह कदम उठाया है। साल 2024 में जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था, तो कोर्ट ने कहा था कि ऐसा केवल उचित कानूनों जैसे फूड सेफ्टी एक्ट या स्ट्रीट वेंडर एक्ट के तहत ही संभव है।

 

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सभी जिले को हर दिन की गई कार्रवाई की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजनी होगी। वरिष्ठ अधिकारियों को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है और किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।


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