दुश्मनों से भी तहजीब और कायदे से पेश आने वाले शहर ने 'बारातियों' की ऐसी खातिरदारी की है कि नवाबों के इस शहर की 'परवरिश' पर ही सवाल उठ गए हैं। लखनऊ की तारीफ में कसीदे पढ़ने वाले शायरों ने कभी सोचा नहीं होगा कि तहजीब का यह शहर, बेअदबी की वजह से सुर्खियों में आएगा। एक बारात पर लखनऊ में रहने वाले कुछ हुड़दंगियों ने इस तरह से धावा बोला कि तहजीब की धज्जियां उड़ गईं।
'बड़ी मुश्किल से आते हैं समझ में लखनऊ वाले
दिलों में फ़ासले लब पर मगर आदाब रहता है।'
मुनव्वर राणा ने लखनऊ की अदब पर यह शेर लिखा था। लखनऊ के हसनगंज में जो हुआ है उसे देखकर मुनव्वर राणा का शेर गलत लगने लगेगा।
आखिर क्यों लखनवी तहजीब हुई शर्मसार?
लखनऊ के IT चौराहे के पास हसनगंज इलाके में सोमवार रात एक बारात आई। जैसे ही बारात बाबूगंज रामाधीन इंटर कॉलेज के पास पहुंची, कुछ छात्रों ने हंगामा किया। राकृष्ण मिशन मठ से बारात अगुवानी के लिए आगे बढ़ी तो छात्र भी बारात में घुसकर नाचने लगे। ये छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय के थे। बाहरी लोगों को देखकर परिवार के लोगों ने सवाल उठाए।
जब बारातियों ने उन्हें अपने ग्रुप में डांस करने से रोका तो छात्र नाराज हो गए। उन्होंने बारातियों को ही पीट दिया। कहते हैं कि दूल्हे की हैसियत शादी वाले दिन 'राजा' की तरह होती है, आसपास के लोग भी नए 'मेहमान' के साथ अदब से पेश आते हैं लेकिन यहां ऐसी गुंडागर्दी हुई कि तहजीब ही शर्मसार हो गई।
जब बारात गुजर रही थी तो पास के ही हॉस्टल में कुछ छात्र खाना खा रहे थे, उन्होंने बारात पर धावा बोल दिया। बारातियों से मारपीट की, कई घायल भी हो गए। खाने के काउंटर उलट दिए, 100 से ज्यादा छात्रों ने हंगामा किया। कुछ जगहों पर हथगोले भी फेंके गए। छात्रों के हाथों में लाठी-डंडे और पत्थर थे। दूल्हे के पिता मनोज सोनकर ने बताया, 'बारात कैसरगंज से रामदीन इंटर कॉलेज वेन्यू तक आई थी। 100 से ज्यादा लोग बारात में घुस गए और हंगामा करने लगे। उन्होंने मेहमानों के साथ बदसलूकी की और ज्वैलरी लूटकर भाग गए। वे कैश भी लेकर फरार हो गए।'
पुलिस ने अब तक क्या किया है?
पुलिस ने लखनऊ विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रहने वाले 12 से ज्यादा छात्रों की पहचान कर ली है। सीसीटीवी फुटेड के आधार पर छात्रों की पहचान की जा रही है। पुलिस ने 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट, हमला और बलवा के आरोपों में केस दर्ज किया है। घायल छात्रों की ओर से भी शिकायत दर्ज कराई गई है। पुलिस ने कुछ लोगों के बयान भी इस सिलसिले में दर्ज कराए हैं।
क्या है लखनऊ की तहजीब?
यह वह शहर था, जहां लोग अदब सीखने आते थे। इस शहर के गंगा-जमुनी संस्कृति की मिसालें दी जाती थीं। तू-तड़ाक की भाषा से कोसों दूर, लखनऊ का नवाबी अदब ही है, जो इसे दूसरे शहरों से अलग बनाता है। शकील बदायुनी ने तो एक गीत ही लखनऊ की खासियत पर लिखी थी-
शबाब-ओ-शेर का ये घर
ये एहल-ए-इल्म का नगर
है मंजिलों की गोद में
यहां की हर एक रहगुज़र
ये शहर लालाज़ार है
यहां दिलों में प्यार है
जिधर नज़र उठाइये
बहार ही बहार है
कली कली है नाज़नीं
ये लखनऊ की सरज़मीं...।