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हादसे में टूटी थी रीढ़ की हड्डी, HC ने दिलवाया 1.52 करोड़ का मुआवजा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि रोड एक्सीडेंट में विकलांग हुए एक शख्स को 1.52 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए। पहले यह राशि 1.11 करोड़ रुपये ही थी।

Bombay High Court

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: PTI

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक सड़क हादसे के शिकार व्यक्ति का मुआवजा बढ़ाने का आदेश दे दिया है। वह व्यक्ति सड़क हादसे के बाद पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गया था। अब कोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि वह पीड़ित व्यक्ति को 1.11 करोड़ रुपये के अलावा 40.35 लाख रुपये और दे। कोर्ट ने यह फैसला उस व्यक्ति की स्थिति को देखकर, इलाज और देखभाल के खर्चों को ध्यान में रखकर लिया है।

 

4 जुलाई 2016 को 25 साल के अतुल दत्ताराय वधाने अपनी मोटरसाइकिल से बोरीवली जा रहे थे। जब वह दहिसर के प्रमिला नगर जंक्शन पर पहुंचे तो एक स्कूल बस ने अचानक वधाने की गाड़ी को टक्कर मार दी थी। इस सड़क हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। दुर्घटना के बाद अतुल वधाने लकवाग्रस्त हो गए और बिस्तर पर पड़े रहे।

 

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1.11 करोड़ का मिला था मुआवजा

पुलिस ने बस ड्राइवर सबास्तियन पंथीकुलंगरा के खिलाफ FIR दर्ज कर चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसके तुरंत बाद पीड़ित ने मोटर ऐक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (MACT) का रुख किया और गंभीर चोटों और स्थायी विकलांगता के लिए मुआवजे की मांग की। उन्होंने कहा कि दुर्घटना बस ड्राइवर की लापरवाही के कारण हुई। ड्राइवर कथित तौर पर तेज गति से गाड़ी चला रहा था और इंडिकेटर का इस्तेमाल किए बिना ही मुड़ गया। ड्राइवर ने अपने बचाव में कहा था कि वह 21-25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चला रहा था और बाइक ही उसकी बस के अगले हिस्से से टकराई थी।

 

मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल ने इस ऐक्सीडेंट से अतुल दत्ताराय वधाने को हुए नुकसान के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को आदेश दिया कि वह 1.11 करोड़ रुपये का मुआवजा दे। हालांकि, बीमा कंपनी और अतुल दत्ताराय वधाने ने MACT के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। बीमा कंपनी मुआवजे को कम करने की मांग कर रही थी और पीड़ित मुआवजे को बढ़ाने की मांग कर रहा था। 

डॉक्टर ने क्या कहा?

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतुल का इलाज करने वाले डॉक्टर को भी बुलाया गया था। डॉक्टर ने बताया कि अतुल वधाने को दो बार सर्जरी के लिए भर्ती किया गया था। डॉक्टर ने कहा कि अतुल वधाने खुद से बिस्तर पर हिल-डुल नहीं पा रहे थे, जिसके कारण उनकी नसों को हुआ नुकसान ठीक नहीं हो सका। डॉक्टर के मुताबिक,अतुल वधाने स्थायी रूप से 70 प्रतिशत आंशिक विकलांग हो गए थे। अस्पताल के एक अन्य डॉक्टर ने कहा, 'अतुल वधाने को लगातार फिजियोथेरेपी, न्यूरोरिहैबिलिटेशन और दवाइयों की जरूरत है।'

 

बीमा कंपनी के वकील ने कोर्ट में कहा कि मुआवजे का फैसला करने से पहले ट्रिब्यूनल ने सभी सबूतों पर विचार किया था और इसमें भविष्य में होने वाला खर्च भी शामिल था। कंपनी के वकील ने तर्क दिया कि मुआवजे की राशि पहले ही बहुत ज्यादा है इसलिए कोर्ट को भविष्य के खर्च पर ब्याज देने का आदेश नहीं देना चाहिए। 

 

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कोर्ट ने बढ़ाया मुआवजा

बॉम्बे हाई कोर्ट के जज शिवकुमार डिगे ने कहा कि महंगाई और बढ़ती लागत को देखते हुए अतुल वधाने के भविष्य के मेडिकल खर्चों पर ब्याज न देना गलत होगा। कोर्ट ने बताया कि अतुल वधाने आंशिक रूप से विकलांग हो चुके हैं और वह हर छोटे-बड़े काम के लिए दूसरों पर निर्भर हैं।

 

कोर्ट ने कहा, 'वधाने 25 साल के युवा हैं, जिनके सपने और उम्मीदें इस हादसे ने खत्म कर दीं। अब वह बिस्तर पर पड़े हैं, एक ही दिशा में देखते हैं और उनका अपने शरीर पर कोई नियंत्रण नहीं है और ना ही अपनी जिंदगी पर। उनके दर्द और तकलीफ को सिर्फ पैसों या ब्याज से नहीं मापा जा सकता।'

 

इसके बाद कोर्ट ने अतुल वधाने को ज्यादा मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने फैसला किया कि उन्हें 1,52,00,100 रुपये का बढ़ा हुआ मुआवजा मिलेगा। यह मुआवजा  MACT की ओर से निर्धारित मुआवजे से 40,35,360 रुपये ज्यादा है। कोर्ट ने बीमा कंपनी के वकील से कहा की अतुल वधाने इस राशि के हकदार हैं।

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