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बिहार में कभी नहीं शांत हुई कानून-व्यवस्था की चर्चा, आंकड़े क्या हैं?

बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में इस बार भी राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर खूब चर्चा हो रही है। कानून-व्यवस्था के नाम पर विपक्षी पार्टियां नीतीश सरकार को घेर रही हैं।

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बिहार में हर चुनाव में कानून-व्यवस्था की चर्चा होती है। Photo Credit- Sora

संजय सिंह, पटना। चुनावी साल में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उछाला ना जाय यह संभव ही नहीं है। लगभग 20 साल पहले इसी मुद्दे के सहारे नीतीश सत्ता में आए थे। आज भी वे विरोधियों को कानून-व्यवस्था को लेकर आईना दिखाने से नहीं चूकते हैं। जून और जुलाई महीनों में राजधानी में अपराध की कुछ घटनाएं घटी। विरोधियों ने एनडीए सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि एनडीए का हिस्सा लोजपा रामविलास के नेता चिराग पासवान भी कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाने में आगे रहे। विरोध का स्वर ज्यादा ना उभरे सरकार ने कानून-व्यवस्था के मामले को चुनौती के रूप में लिया।

 

कानून-व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती भूमि विवाद, बालू और शराब माफिया रहे हैं। पांच सालों के अगर अपराधिक आंकड़ों पर गौर किया जाए तो साल 2024 को छोड़कर हर साल अपराध की घटनाओं में वृद्धि होती दिखती है, लेकिन सिर्फ हत्या के मामले में आंकड़ों का ग्राफ गिरा दिखता है। साल 2020 में हत्या के 3149 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 2789 हो गई। जुलाई महीने के एक पखवाड़े के भीतर 51 हत्या के मामले ने विपक्ष को सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा करने का मौका दे दिया। जब ये पुलिस अधिकारियों के अनर्गल बयान के कारण मामला और उलझ गया।

 

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सर्वाधिक हत्या किससे होती है?

सरकार ने विपक्ष की आलोचना और हत्या की बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लिया। आंकड़ों के माध्यम से यह बताया गया कि बिहार में सर्वाधिक हत्या पारिवारिक कलह और भूमि विवाद के कारण होती है। भूमि विवाद से जुड़े मामलों के समाधान के लिए अलग-अलग पोर्टल बनाया गया है। लैंड रिकॉर्ड को अपडेट करने का काम भी किया जा रहा है। पुलिस मुख्यालय ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि इस साल जुलाई तक 54 हजार लोगों की गिरफ्तारी आपराधिक मामले में हुई है। इनमें से 3905 हत्या के मामले से संबंधित थे।

 

अधिकारियों का मानना है कि लंबित कांडों की संख्या अधिक रहने के कारण पुलिस को परेशानी होती है। हालांकि पुलिस मुख्यालय का यह दावा है कि जून 2025 तक 46 हजार कांडों का निष्पादन कर दिया गया। 64 हजार से अधिक अभियुक्तों को सजा सुनाई गई। 

100 फास्ट ट्रैक की स्थापना

अपराध की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए 100 फास्ट ट्रैक की स्थापना की गई है। राज्य के शूटरों पर नजर रखने के लिए एसटीएफ ने शूटर सेल खोला है। सेल के माध्यम से एक दर्जन शूटर पकड़े भी गए। चुनावी मौसम में अवैध हथियारों का डिमांड और कारोबार बढ़ जाता है। इस कारोबार को रोकने के लिए पुलिस कप्तानों को अलग से निर्देश भी दिया गया है। इसके अलावा पुलिस बल की संख्या में वृद्धि की गई है। थानों की संख्या भी बढ़ाई गई है।

 

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पिछले पांच सालों में अपराध का ग्राफ

वर्ष आपराधिक कांड हत्या कांड

2020 2.57 लाख 3149

2021 2.82 लाख 2799

2022 3.47 लाख 2929

2023 3.53 लाख 2863

2024 3.52 लाख 2786

2025 जून तक 1.90 लाख 1379

घेरने का पूरा प्रयास

बढ़ते अपराध को लेकर विरोधियों ने सरकार को घेरने का पूरा प्रयास किया। सरकार ने भी पुलिस मुख्यालय पर दबाव बनाया। आनन-फानन में 1300 अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव तैयार हुआ। डायल 112 वाहनों की संख्या बढ़ाई गई। अपराध नियंत्रित रहे इसके लिए जिम्मेवारी तय की गई। इसके वावजूद कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष समय समय पर सत्ता पक्ष पर उंगली उठाते रहा है। सरकार भी बचने का रास्ता ढूंढते रहती है।

 

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