भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने के मामले को सुनने के लिए एक नई बेंच बनाई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले की सुनवाई अब गुरुवार, 14 अगस्त को होगी। इस सुनवाई में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया शामिल होंगे। यह बेंच उस दो जजों की बेंच से अलग होगी, जिसने सोमवार को दिल्ली के आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया था।
11 अगस्त को जारी अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को अगले छह से आठ हफ्तों में 5,000 आवारा कुत्तों को पकड़ने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी स्थिति में इन कुत्तों को सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के विस्तृत आदेश में कहा गया, ‘आवारा कुत्तों को पकड़ा जाए, उनकी नसबंदी की जाए, कीड़े हटाए जाएं और 2023 के पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार टीकाकरण किया जाए।’ यह आदेश बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
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जनता में नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद जनता में भारी नाराजगी देखी गई। कई राजनेताओं, मशहूर हस्तियों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस आदेश का विरोध किया है। गांधी परिवार के चार सदस्यों - राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, वरुण गांधी और मेनका गांधी - ने भी इस आदेश पर अपनी चिंता जताई है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘सभी आवारा कुत्तों को हटाना क्रूर और संवेदनहीनता है। ये बेजुबान प्राणी कोई ‘समस्या’ नहीं हैं। आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल से सड़कों को सुरक्षित रखा जा सकता है। हमें जनता की सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों को साथ में सुनिश्चित करना चाहिए।’
विरोध और हिरासत
आदेश के बाद, कई डॉग लवर्स, पशु अधिकार कार्यकर्ता और अन्य प्रदर्शनकारी इंडिया गेट के पास विरोध करने के लिए एकत्र हुए, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया। पेटा इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ‘अव्यवहारिक, अतार्किक और गैरकानूनी’ बताया है। अब इस मामले को नई बेंच के सामने रखा जाएगा, और सभी की नजरें इस बात पर हैं कि सुप्रीम कोर्ट का अगला फैसला क्या होगा।
क्या था मामला?
दरअसल, दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए दिल्ली सरकार और नगर निगम को आदेश दिया था कि जल्द से जल्द सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाकर उन्हें आश्रय स्थलों में रखा जाए, साथ ही उनका रिकॉर्ड भी मेनटेन किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि गर कोई शख्स या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने में अधिकारियों के काम में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था कि फिलहाल करीब 5,000 आवारा कुत्तों के लिए आश्रय गृह बनाए जाने चाहिए और कुत्तों के बधियाकरण और टीकाकरण के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात किए जाने चाहिए।