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रक्षाबंधन के दिन बहनों को इसलिए दिया जाता है रक्षा का वचन

धर्म-शास्त्रों में रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाओं का वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी प्रमुख बातें।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva Image)

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रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई और बहन के प्यार, विश्वास और सुरक्षा के रिश्ते को विशेष रूप से समर्पित होता है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त के महीने में आता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र व सफलता की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

 

राखी केवल एक धागा नहीं होती, बल्कि एक रक्षा सूत्र मानी जाती। रक्षाबंधन केवल सगे भाई-बहनों तक सीमित नहीं है, कई बार यह भावनात्मक रूप से जुड़े रिश्तों जैसे चचेरे भाई, ममेरे भाई या मित्रों के साथ भी मनाया जाता है।

 

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पौराणिक मान्यताएं

रक्षाबंधन से जुड़ी कई प्राचीन कथाएं और मान्यताएं हमारे धर्मग्रंथों में मिलती हैं, जो इस पर्व को और भी पवित्र और महत्वपूर्ण बनाती हैं।

भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी। जब द्रौपदी ने यह देखा, तो उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। यह उनका प्रेम और चिंता का प्रतीक था। इस उपकार से भावुक होकर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह जीवनभर उनकी रक्षा करेंगे। इसी वचन को उन्होंने चीरहरण के समय निभाया।

राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा

एक बार राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वचन लिया था कि वे सदैव उसके पास ही रहेंगे। इससे देवी लक्ष्मी चिंतित हुईं, क्योंकि भगवान विष्णु बैकुंठ छोड़कर बलि के घर रहने लगे थे। तब माता लक्ष्मी एक ब्राह्मण स्त्री का वेश धरकर बलि के पास गईं और उसे राखी बांधी। जब बलि ने उन्हें कुछ मांगने को कहा, तो लक्ष्मी जी ने अपने पति विष्णु को वापस मांग लिया। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि राखी सिर्फ भाई-बहन के बीच ही नहीं, बल्कि रक्षा और आदर के भाव से जुड़े हर रिश्ते में महत्व रखती है।

 

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इंद्र देव और शचि की कथा

एक और मान्यता के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध चल रहा था, तब देवराज इंद्र की पत्नी शचि (इंद्राणी) ने उन्हें युद्ध में विजयी होने के लिए एक पवित्र धागा बांधा था। इसके बाद इंद्र युद्ध में जीत गए। इस धागे को “रक्षा सूत्र” कहा गया, जो आज की राखी का रूप माना जाता है।

रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व

रक्षाबंधन भारतीय समाज में पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाने वाला पर्व है। यह सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और संस्कृति की पहचान है। यह त्योहार परिवार को जोड़ने, भाई-बहन के बीच प्रेम और सम्मान को बढ़ाने और समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने वाला पर्व है।


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