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पंचक के 5 दिनों में नए काम की शुरुआत क्यों मना है? यहां सब जानिए

ज्योतिष शास्त्र में पंचक के 5 दिनों को कुछ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। आइए जानते हैं इसका अर्थ और क्या है महत्व।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva Image)

हिंदू ज्योतिष और धर्म शास्त्रों में शुभ व अशुभ समय के विषय में विस्तार से बताया गया है। कहा जाता है कि कोई भी महत्वपूर्ण काम करते समय समय का बहुत ध्यान रखना चाहिए। इसका प्रभाव कार्य पर सकारात्मक रूप से दिखाई देता है। ऐसा ही एक समय पंचक को कहा जाता है, जो 5 दिन की समय अवधि होती है, जिसमें कुछ जरूरी काम को न करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं मई 2025 महीने का पंचक कब है और इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए।

मई पंचक 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, मई महीने में पंचक 20 मई, मंगलवार से सुबह 07:35 मिनट पर शुरू हो जाएगी और इसका समापन 24 मई, शनिवार को दोपहर 01:48 पर खत्म हो जाएगी।

 

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क्या होता है पंचक?

पंचक हिन्दू पंचांग के अनुसार वह समय होता है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में रहता है। इसे पंचक काल कहा जाता है। इस अवधि में चंद्रमा श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और उत्तराभाद्रपद – इन पांच नक्षत्रों में भ्रमण करता है। इसलिए इसे 'पंचक' कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'पांच नक्षत्रों का समूह।'

 

यह अवधि लगभग 5 दिन की होती है और हर माह आती है। पंचक को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है।

पंचक काल के दौरान माने जाने वाले प्रमुख नियम:

पंचक के समय घर की छत डालना या कोई ऊंचा निर्माण कार्य करना अशुभ माना जाता है। साथ ही इस समय लकड़ी से बने सामान जैसे चारपाई, खाट आदि खरीदना या बनवाना वर्जित माना जाता है। कहा जाता है कि इससे पारिवारिक संकट या मृत्यु का योग बन सकता है।

 

इसके साथ पंचक के समय खास तौर पर दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित मानी जाती है। यह दिशा यमराज की मानी जाती है और इस समय यात्रा को अशुभ माना गया है। इसके साथ पंचक के समय यदि किसी की मृत्यु होती है तो उसकी अंतिम क्रिया करते समय 'पंचक शांति उपाय' किए जाने की सलाह दी जाती है।

पंचक का आध्यात्मिक प्रभाव:

पंचक को ग्रहों की स्थिति के अनुसार एक ऐसा समय माना जाता है जब वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा थोड़ी अधिक सक्रिय हो सकती है। इस कारण व्यक्ति में चंचलता, असंतुलन और मानसिक तनाव देखा जा सकता है।

 

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इस अवधि को आत्मनिरीक्षण, ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। किसी नए काम की शुरुआत से परहेज करने की सलाह दी जाती है लेकिन पुराने कार्यों को पूरा करने या आत्मिक सुधार के लिए यह समय उपयोगी हो सकता है।

 

पंचक के समय नियमित मंत्र जाप, हनुमान चालीसा पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम या शिव आराधना करने से मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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