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बाढ़ में लोगों को बचाने वाली गाड़ी N1200 ATOR इतनी खास क्यों है?

SMV N1200 ATOR सेना अपने ऑपरेशनल काम में इस्तेमाल करती है। पानी से पहाड़ तक, यह व्हीकल, हर जगह काम आता है।

ATOR N1200

ATOR N1200 को अमृतसर में रेस्क्यू के लिए उतारा गया है। (Photo Credit: Social Media)

जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ की वजह से हालात बेहद खराब हैं। सिर्फ हिमाचल में ही सैकड़ों लोग बाढ़ की भेंट चढ़ गए हैं, जम्मू के वैष्णव देवी मार्ग पर हुए भूस्खलन की वजह से ही 30 से ज्यादा लोग मार जा चुके हैं। अब बाढ़ग्रस्त इलाकों में रेस्क्यू के लिए भारतीय सेना ने अपने बहुउद्देश्यीय व्हीकल N1200 ATOR को उतार दिया है। अमृतसर में भारतीय सेना ने N1200 ATOR को उतर दिया है। बाढ़ की स्थितियों में सेना की यह वाहन आसानी से लोगों को बाहर निकालने में मददगार होता है। यह गहराई तक उतरने में सक्षम वाहम है। 

कई संकटग्रस्त जगहों पर इन्हें उतारा जा सकता है। अमृतसर के कुछ बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना ने इन्हें उतारा है। लोगों को बाहर निकालने की कोशिशें की जा रही हैं। इन वाहनों को मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया जा रहा है। वाहन के कई पुर्जे भारत में तैयार किए गए हैं। 

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क्या है  N1200 ATOR?

भारतीय सेना ने मेक इन इंडिया पहल के तहत चंडीगढ़ की कंपनी JSW Gecko Motors से 96 अत्याधुनिक स्पेशलिस्ट मोबिलिटी व्हीकल SMV N1200 ATOR खरीदे हैं। ये चार बड़ी पहिया वाली गाड़ियां हैं, जिन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है। ये पहाड़ियों पर भी चढ़ने में सक्षम हैं और बाढ ग्रस्त इलाकों में भी। 

खासियत क्या है?

सेना SMV N1200 ATOR को दलदली जमीन, बर्फ और झील और नदियों तक में उतार देती है। दुर्गम इलाकों में आम जनता तक पहुंच के लिए ये वाहन सक्षम माने जाते हैं। इन्हें चंडीगढ़ के 
JSW Gecko की फैक्ट्री में तैयार किया गया है। गणतंत्र दिवस परेड में भी इन्हें प्रदर्शित किया गया था। 

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कहां-कहां टेस्ट में पास हुए हैं ये वाहन?

कंपनी के निदेशक जसकीरत सिंह नागरा ने जुलाई 2021 से भारतीय सेना ने इन वाहनों का रण ऑफ कच्छ, पोखरण, जंगल और चढ़ाई वाले इलाकों में आजमाया है। कंपनी ने Copato के साथ मिलकर इनके पुर्जों को भारत में ही बनाया तैयार किया है। यह 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा मिलता है।

सेना को कब मिलेंगी ये गाड़ियां?

जून 2023 में सेना ने 96 वाहनों का ऑर्डर दिया है। जनवरी 2024 से चंडीगढ़ में इनका उत्पादन शुरू हुआ। जून-जुलाई 2024 में इन गाड़ियों को सेना को सौंप दिया गया है। जल्द ही पूरी खेप भी सौंपी जा सकती है।

कहां-कहां काम आ सकते हैं ये वाहन?

इन वाहनों के जरिए बर्फ को तोड़ा जा सकता है। बर्फीले इलाके में भी इन्हें तैनात किया जाता है। ये गाड़ी गहरे पानी में उतरकर वापस आने में सक्षम है। पानी में तैरने में भी सक्षम है। इनका इस्तेमाल रसद, खोज और बचाव अभियानों में किया जा सकता है। 

दुर्गम इलाकों में मेडिकल इमरजेंसी और कमांड सेंटर के तौर पर भी इन्हें तैनात किया जा सकता है। इनका परीक्षण BSF, ITBP, असम राइफल्स और NDRF के साथ भी सफल रहा है। कंपनी ने NDRF को मुफ्त में दो गाड़ियां दी हैं, जिससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं से ये संस्थाएं निपट सके।

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