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कुत्तों की धरपकड़ से दिल्ली में तूफान, आक्रोश से आंदोलन तक आए लोग

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के एक फैसले में कहा था कि दिल्ली से सभी आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह के भीतर दिल्ली-NCR के आवासीय क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर में होम में भेज दिया जाए। कोर्ट के इस फैसले पर दिल्ली में हंगामा बरपा है।

Delhi Animal Protest

दिल्ली में पशु प्रेमियों को पुलिस ने 16 अगस्त को हिरासत में लिया था। (Photo Credit: PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को कुत्तों पर एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसकी वजह से दिल्ली के 'पशु प्रेमी' लोग सड़क पर उतर आए हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था कि शिशु और छोटे बच्चे किसी भी कीमत पर रेबीज का शिकार नहीं होने चाहिए। कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए जिससे लोगों में यह भरोसा पैदा हो कि वे बिना डर के स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। उन पर आवारा कुत्ते हमला नहीं करेंगे। इसमें कोई भावनात्मक पक्ष नहीं होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली में कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 16 अगस्त को दिल्ली के कनॉट प्लेस में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। किसी के हाथ में भगवान शिव के पोस्टर के साथ कुत्ते की तस्वीर थी, किसी के हाथ में 'सेव द डॉग' की तख्तियां। कुछ लोगों ने 'रेपिस्ट ऑन बेल, डॉग्स इन जेल' जैसे नारे भी गाए, बोर्ड भी उछाले। इस प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा है कि कुत्तों के अधिकार होते हैं, कैसे सुप्रीम कोर्ट एक झटके में उन्हें ठूंसने का आदेश दे सकता है। 

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प्रदर्शनकारी 'हमें न्याय चाहिए', 'वी वॉन्ट जस्टिस' जैसे नारे लगा रहे हैं। 11 अगस्त को यह फैसला आया, तब से लेकर अब तक, दिल्ली के लोदी गार्डन से लेकर कनॉट प्लेस तक कई विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। 4 से ज्यादा FIR दिल्ली पुलिस दर्ज कर चुकी है, कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, फिर उन्हें छोड़ दिया गया। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि दिल्ली सरकार के पास न तो पर्याप्त शेल्टर हैं, न ही इतना बड़ा बजट की 8 लाख कुत्तों को एक साथ फीड कराया जाए, उनकी देखभाल हो सके। 

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कनॉट प्लेस में कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था। (Photo Credit: PTI)

प्रणव बॉक्सर ग्रोवर, इन्फ्लुएंसर:- 
बॉक्सर मेरे कुत्ते का नाम है। मैंने अपना मिडिल नेम, कानूनी तौर पर अपने कुत्ते के नाम पर रखा है। मैं इस प्रदर्शन में सिर्फ इसलिए आई हूं क्योंकि मुझे पता है मैं बचपन से जानवरों के साथ पली-बढ़ी हूं। मुझे पता है कि मेरे जीवन में जानवरों की कितनी अहमियत है। सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि सभी जानवरों को उठाकर शेल्टर में रखा जाना चाहिए। ये शेल्टर कहां है? आप मुझे वहाँ ले चलो। मुझे ये शेल्टर दिखाओ।'

दिल्ली पुलिस ने धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा के उल्लंघन में कई लोगों को हिरासत में लिया था। प्रदर्शनकारियों ने बिना इजाजत इंडिया गेट और कनॉट प्लेस जैसी जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया है। 12 अगस्त को हुए प्रदर्शनों के बाद दिल्ली पुलिस की तरफ से 5 FIR भी दर्ज हुई है।

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दिल्ली में कुत्तों पर सुप्रीम के फैसले में विरोध प्रदर्शन। (Photo Credit: PTI)

 

क्या कह रहे हैं प्रदर्शनकारी?

प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नाराज हैं, दूसरी तरफ पुलिस पर भी उत्पीड़न का आरोप लगा रहे हैं। 11 अगस्त को इंडिया गेट और 12 अगस्त को कनॉट प्लेस पर सैकड़ों पशु प्रेमी और कार्यकर्ता इकट्ठा हुए थे। प्रदर्शनकारी 16 अगस्त को भी कनाट प्लेस पहुंचे थे। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़पें भी हुई हैं। पुलिस ने कहा कि उनकी तरफ से न्यूनतम बल प्रयोग किया गया है। 

कुछ वीडियो ऐसे भी वायरल हो रहे हैं, जिनमें पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करते दिखे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह आदेश एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के खिलाफ है। आश्रय गृहों की स्थिति खराब है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हिंसक कुत्तों को अलग किया जाए, सामान्य कुत्तों को भी अगर इस दायरे में लाया जाएगा तो यह अमानवीय होगा। 

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दिल्ली में कुत्तों पर सुप्रीम के फैसले में विरोध प्रदर्शन। (Photo Credit: PTI)

सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या था?

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को दिल्ली में बढ़ते रेबीज और कुत्ता काटने के मामलों के मद्देनजर एक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 8 सप्ताह के भीतर दिल्ली-NCR के कुत्तों को आवासीय क्षेत्रों से हटा दिया जाए, शेल्टर होम में भेज दिया जाए। कोर्ट के काम में जो लोग बाधा डालें, उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। 

दिल्ली की चिंता क्या है?

दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं लेकिन 68 हजार से ज्यादा कुत्ता काटने के मामले हर साल आते हैं। साल 2024 में 68 हजार तो 2025 में अब तक 26 हजार कुत्ता काटने के मामले समाने आ चुके हैं। दिल्ली में आवारा कुत्तों ने कई जगहों पर लोगों की मुश्किलें बढ़ाई हैं।

दिल्ली में कुत्तों को जगह-जगह निगम अधिकारी पकड़ रहे हैं। (Photo Credit: PTI)



रेबीज से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकंड़े बताते हैं कि हर साल दुनियाभर में रेबीज से 60 हजार मौतें होती हैं। इनमें से 36% मौतें सिर्फ भारत में होती है। इसका मतलब हुआ कि अगर दुनिया में रेबीज से 100 मौतें हो रही हैं तो उनमें से 36 भारतीय हैं।

दिल्ली में कुत्तों पर सुप्रीम के फैसले में विरोध प्रदर्शन। (Photo Credit: PTI)

कहां रखेंगे आवारा कुत्ता?

मेनका गांधी, पूर्व केंद्रीय मंत्री:-
यह आदेश लागू नहीं हो सकता। यह किसी गुस्से में आकर दिया गया एक अजीबोगरीब फैसला है। गुस्से में लिए गए फैसले कभी समझदारी भरे नहीं होते। दिल्ली में एक भी सरकारी आश्रय गृह नहीं है। आप कितने आश्रय गृहों में 3 लाख कुत्ते रखेंगे? आपके पास एक भी नहीं है। इन आश्रय गृहों को बनाने के लिए आपको कम से कम 15 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इसमें 5 से 10 साल लगेंगे। आपको उन जगहों पर 3000 शेल्टर होम ढूंढ़ने होंगे जहां कोई नहीं रहता। आप इतनी सारी जगहें कैसे ढूंढ़ेंगे? यह दो महीने में नहीं हो सकता।'

क्या सुप्रीम कोर्ट वापस लेगा फैसला? अब आगे क्या

कॉन्फ्रेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स (इंडिया) की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका, सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त के फैसले को वापस लेने के लिए दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि बच्चों की सुरक्षा और रेबीज की समस्या को देखते हुए यह जरूरी है, वहीं याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने आश्रय गृहों की कमी का मुद्दा उठाया है। इस फैसले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। खुद चीफ जस्टिस बीआर गवई की इस पर नजर है। 

 

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