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कितना अहम है सीमांचल?

पिछली बार इन्हीं 4 जिलों में AIMIM ने धूम मचाई थी और उसके पांच विधायक जीते थे।

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मोदी राहुल

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बताते चलें कि बिहार के पूर्व और उत्तर पूर्व के चार जिलों को मिलाकर बनने वाले क्षेत्र को सीमांचल कहा जाता है। इसमें पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले आते हैं। किशनगंज में 4, कटिहार में 7, पूर्णिया में 7 और अररिया में 6 विधानसभा सीटें हैं। यानी कुल 24 सीटें इन्हीं चार जिलों में हैं। असदुद्दीन ओवैसी इन 4 जिलों के जरिए AIMIM को मजबूत करने में लगे हुए हैं। पिछली बार इन्हीं 4 जिलों में AIMIM ने धूम मचाई थी और उसके पांच विधायक जीते थे। हालांकि, 5 में से 4 विधायक बाद में आरजेडी में शामिल हो गए थे।

 

किशगनंज में 68 प्रतिशत, पूर्णिया में 39 प्रतिशत, कटिहार में 45 प्रतिशत और अररिया में 43 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है। यही वजह है कि AIMIM लंबे समय से इस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश रही है। पिछले चुनाव की बात करें तो इन 24 में से 5 पर AIMIM जीती थी। सबसे ज्यादा 8 सीटें बीजेपी और 4 सीटें जेडीयू ने जीती थीं। यानी एनडीए के पास यहां की कुल 12 सीटें हैं। कांग्रेस ने यहां 5 और एक-एक सीट आरजेडी और सीपीआई (ML) ने जीती थी। AIMIM एक बड़ी वजह थी कि पिछले चुनाव में सीमांचल में विपक्षी गठबंधन को कम सीटें मिली थीं। 

 

2024 के लोकसभा चुनाव में सीमांचल की 4 में दो पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय पप्पू यादव जीते थे। हालांकि, अब वह कांग्रेस के ही साथ हैं। सिर्फ अररिया की लोकसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी। ऐसे में विपक्षी दलों को उम्मीद है कि वे सीमा चल क्षेत्र से खुद को मजबूत कर सकते हैं। ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन का गणित बिगाड़ सकती है। लोकसभा चुनाव में किशनगंज सीट पर AIMIM ने मजबूती से चुनाव लड़ा था और उसके अख्तरुल ईमान को 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे।

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