उपराष्ट्रपति के पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे बाद निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होगी। जगदीप धनखड़ का उत्तराधिकारी कौन होगा? इस पर माथापच्ची चल रही है। धनखड़ ने अगस्त 2020 में उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण किया था। उनका कार्यकाल 2027 तक था। मगर उससे पहले ही 21 जुलाई को उन्होंने अचानक इस्तीफा देकर सभी को हैरत में डाल दिया।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति का चुनाव होना तय है। किसका पलड़ा भारी है, संसद का गणित किसके पक्ष में है। मौजूदा समय में कितने सदस्य है और भाजपा को अपना उपराष्ट्रपति बनाने के लिए कितने मतों की जरूरत है, जानते हैं पूरा सियासी गुणा-गणित।
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क्या है संसद का गणित?
सांसद के दोनों सदनों में कुल 788 सासंदों की क्षमता है। लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 है, लेकिन पश्चिम बंगाल की बशीरहाट लोकसभा सीट खाली है। राज्यसभा की पांच सीटें रिक्त हैं। इस लिहाज से मौजूदा समय में लोकसभा में कुल 542 और राज्यसभा में 239 सदस्य हैं। अगर दोनों सदनों की प्रभावी संख्या की बात करें तो यह 782 होती है। भाजपा या एनडीए को अपना उपराष्ट्रपति बनाने की खातिर 392 मतों की जरूरत होगी।
एनडीए के पास कितना समर्थन?
मौजूदा समय में 542 सदस्यीय लोकसभा में एनडीए के पास 293 सदस्यों का समर्थन है। राज्यसभा में 129 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। अगर राज्यसभा के सभी एनडीए सदस्यों के साथ-साथ मनोनीत सदस्यों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया तो एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों के 782 सदस्यीय निर्वाचन मंडल में से 422 सदस्यों का समर्थन होगा और यह संख्या 392 के आंकड़े से काफी अधिक है।
संसद में कांग्रेस के कितने सदस्य?
लोकसभा में कांग्रेस के 99 और राज्यसभा में 27 सदस्य हैं। अगर इंडी गठबंधन की बात करें तो उसके पास 300 से अधिक सदस्यों का समर्थन है। भाजपा के पास लोकसभा में सबसे अधिक 240 और राज्यसभा में 99 सदस्य हैं। लंबे समय से खाली राज्यसभा की चार मनोनीत सीटों को भी सरकार ने भरा है। संसद के गणित के लिहाज से उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की राह आसान दिख रही है।
कहां-कहां खाली हैं सीटें
राज्यसभा की एक सीट पंजाब और चार सीटें जम्मू-कश्मीर में खाली है। पंजाब में आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद राज्यसभा की सदस्यता छोड़ दी है। अब संजीव अरोड़ा पंजाब विधानसभा के सदस्य हैं।
चुनाव की तैयारी में जुटा आयोग
सविंधान के अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग को उपराष्ट्रपति का चुनाव कराने का अधिकार है। यह चुनाव राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम- 1952 और इसके अंतर्गत बने राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव नियम- 1974 के माध्यम से शासित होते हैं। निर्वाचन आयोग ने रिटर्निंग और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों, चुनाव की सामग्री और निर्वाचन मंडल की तैयारी शुरू कर दी है।
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60 दिनों के भीतर करवाना होगा चुनाव
संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 और उपराष्ट्रपति (चुनाव) नियम- 1974 में चुनाव से जुड़े नियमों का जिक्र है। इसके मुताबिक उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के 60 दिनों के भीतर चुनाव करवाना जरूरी है। मतलब 19 सितंबर 2025 से पहले औपचारिक चुनाव करवाने होंगे। उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मडंल के माध्यम से किया जाता है। इसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से एकल संक्रमणीय मत के आधार पर उपराष्ट्रपति का चुनाव होता है।
कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेते हैं। संविधान के अनुच्छेद 66 (1) के मुताबिक उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है। चुनाव प्रक्रिया में गुप्त मतदान प्रणाली को अपनाया गया है। प्रत्येक मतदाता को उम्मीदवारों के नाम के सामने अपनी प्राथमिकता भरनी होती है। रिक्त पद को भरने के लिए चयनित व्यक्ति अपने पदभार ग्रहण करने की तारीख से पांच वर्षों तक इस पद पर बना रहेगा।