8 हफ्ते में 8 लाख आवारा कुत्तों को कहां ले जाएगी दिल्ली सरकार?
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• NEW DELHI 12 Aug 2025, (अपडेटेड 12 Aug 2025, 10:04 AM IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेनका गांधी ने कहा है कि यह आदेश लागू नहीं हो सकता है। यह फैसला, किसी गुस्से में आकर दिया गया फैसला लगता है। दिल्ली में एक भी सरकारी शेल्टर होम नहीं हैं, कुत्ते 3 लाख कुत्ते रखे कहां जाएंगे।

स्ट्रीट डॉग। (Photo Credit: Sora, AI Image)
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और सिविल एजेंसियों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों दिल्ली से हटा दिया जाए। आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में भेजा जाए। दिल्ली सरकार उनकी संख्या से संबंधित आंकड़ों का रिकॉर्ड रखे। अगर नागरिक संगठन या लोग इस आदेश का विरोध करें तो उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सिर्फ 8 हफ्ते की समय सीमा दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूर्व पर्यावरण मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की नेता मेनका गांधी ने चिंता जताई जताई है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि यह आदेश कभी लागू नहीं हो सकता है।
मेनका गांधी ने उन वजहों के बारे में भी बात की है, जिनकी वजह से दिल्ली के संदर्भ में यह आदेश लागू नहीं हो सकता है। मेनका गांधी ने कहा है कि दिल्ली में ऐसा एक भी शेल्टर होम नहीं है, जहां कुत्तों को रखा जाए। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में 3 लाख आवारा कुत्तों को रखने के लिए शेल्टर होम बनाया जाए तो इसके लिए कम से कम 15 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं। उन जगहों पर 3 हजार आश्रय गृह ढूंढने होंगे, जहां कोई नहीं रहता है। इतनी सारी जगहें आप कहां ढूंढेंगे।
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15 हजार करोड़ का खर्च, 3 हजार शेल्टर होम, कहां से होगा इंतजाम?
मेनका गांधी ने कहा, 'यह आदेश लागू नहीं हो सकता। यह किसी गुस्से में आकर दिया गया एक अजीबोगरीब फैसला है। गुस्से में लिए गए फैसले कभी समझदारी भरे नहीं होते। दिल्ली में एक भी सरकारी आश्रय गृह नहीं है। आप कितने आश्रय गृहों में 3 लाख कुत्ते रखेंगे? आपके पास एक भी नहीं है। इन आश्रय गृहों को बनाने के लिए आपको कम से कम 15 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इसमें 5 से 10 साल लगेंगे। आपको उन जगहों पर 3000 शेल्टर होम ढूंढ़ने होंगे जहां कोई नहीं रहता। आप इतनी सारी जगहें कैसे ढूंढ़ेंगे? यह दो महीने में नहीं हो सकता।'
मेनका गांधी, पूर्व पर्यावरण मंत्री:-
जब वे कुत्तों को लेने जाएंगे, तो हर गली में लड़ाई होगी। जो लोग कुत्तों को खाना देते हैं, वे कुत्तों को जाने नहीं देंगे। रोज झगड़े होंगे। क्या हम ऐसी अस्थिरता की स्थिति चाहते हैं? दूसरे राजनीतिक दल बीजेपी पर हमला करेंगे। जब यहां से कुत्ते विस्थापित होंगे तो आस-पास के राज्यों से कुत्ते दिल्ली आएंगे, क्योंकि यहां ज़्यादा खाना मिलेगा। एक हफ्ते के अंदर, दिल्ली में 3 लाख कुत्ते और आ जाएंगे। उनकी नसबंदी नहीं होगी। तो क्या आप फिर से नसबंदी कार्यक्रम शुरू करेंगे और फिर से सैकड़ों करोड़ खर्च करेंगे?'
VIDEO | Animal Rights Activist Maneka Gandhi spoke on the Supreme Court's order to remove all stray dogs from the Delhi-NCR streets within 8 weeks. She says, "This judgment is a suo motu case, which means nobody complained; the judge took it up on his own. We were expecting… pic.twitter.com/yOIQjlCVFE
— Press Trust of India (@PTI_News) August 11, 2025
दिल्ली सरकार का प्लान क्या है?
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और मंत्री कपिल मिश्रा अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक करेंगे। आवारा कुत्तों को लेकर एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। दिल्ली सरकार के विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा है कि रेबीज और आवारा पशुओं के भय से दिल्ली को मुक्त किया जाएगा। दिल्ली सरकार का पशु विभाग, सभी एजेंसियो के साथ मिलकर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करेगा।
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आदेश को लागू करना असंभव क्यों लग रहा है?
पशु विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह आदेश लागू करना लगभग असंभव है। दिल्ली में न तो स्थायी पशु आश्रय हैं, न ही आवारा कुत्तों की सटीक गिनती, न पर्याप्त कर्मचारी, और न ही अनुमानित 10 लाख कुत्तों को रखने और खिलाने के लिए अलग फंड।
दिल्ली नगर निगम अभी कई NGO के साथ मिलकर 20 एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) केंद्र संचालित करता है। ये केंद्र नसबंदी के लिए अस्थायी अस्पताल जैसे हैं। यहां कुत्तों को सर्जरी के बाद 10 दिनों तक रखा जाता है, फिर वहां से उन्हें, उस जगह छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया होता है। एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग्स) नियम, 2023 में इन बातों का जिक्र भी है।
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कितने कुत्तों को रखा जा सकता है?
अगर इन केंद्रों को स्थाई केंद्र में भी बदला जाए तो भी ज्यादा से ज्यादा 3500 से 4000 कुत्तों को ही रखा जा सकता है। दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या कम से कम 10 लाख है। दिल्ली के ही पशु चिकित्सा विभाग के एक अधिकारियों ने भी कहा है कि दिल्ली में आवारा कुत्तों को रखने की क्षमता ही नहीं है। इतनी जल्दी यह हो पाना भी मुश्किल है।
दिल्ली में कितने आवारा कुत्ते हैं?
साल 2009 में आखिरी बार कुत्तों की गिनती हुई थी। करीब 5.6 लाख कुत्ते, तब रिकॉर्ड किए गए थे। साल 2019 में दिल्ली विधानसभा की एक उप समिति ने दावा किया कि दिल्ली में 8 लाख कुत्ते हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या 10 लाख के करीब है। दिल्ली आवारा कुत्तों की गिनती को लेकर ही अलग-अलग दावे किए जाते हैं।

शेल्टर होम बनाने में मुश्किलें क्या आएंगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि जब कुत्तों की संख्या ही तय नहीं है तो कितने कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाया जाए, यह कैसे तय हो पाएगा। बिना सटीक आंकड़ों के न तो स्थान, न कर्मचारी, और न ही खाने की लागत की योजना बनाई जा सकती है। कुत्तों के लिए इतनी व्यवस्था कराने के लिए सरकार को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ेगी।
कितना खर्च होगा?
MCD की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष सत्य शर्मा ने अनुमान जताया है कि प्रति कुत्ता 40 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी, दस लाख कुत्तों को खिलाने की लागत करीब 3 करोड़ रुपये रोजाना होगी। सालाना यह खर्च 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह लागत कर्मचारियों के वेतन, परिवहन, चिकित्सा देखभाल, और निर्माण के खर्च के बिना है।'
अभी क्या स्थिति है?
अभी दिल्ली में कुत्तों के लिए काम कर रहे NGO को नसबंदी और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल के लिए प्रति कुत्ता 1,000 रुपये दिए जाते हैं। कई NGO ऐसे भी हैं जिन्हें कोई भुगतान ही नहीं हुआ है, पैसे बकाया हैं। सरकार की तरफ से इसके निपटारे की कोशिशें भी नहीं की जा रही हैं।
जगह कहां से लाएंगे?
दिल्ली में कुत्तों को रखने के लिए जगह भी कम पड़ेगी। नसबंदी के दौरान हर कुत्ते को कम से कम 12 वर्ग फुट की जगह चाहिए होती है। स्थाई आश्रय के लिए कुत्तों को कम से कम 40 से 45 वर्ग फुट जमीन जरूरी है। कुत्तों को ठूंसकर रखा नहीं जाता। लड़ाकू जीव हैं, एक-दूसरे को ही काट खाएंगे। उनसे कई बीमारियां भी फैलती हैं। बड़ी संख्या में वे अगर साथ रहे तो लड़कर मर जाएंगे।
कौन पकड़ेगा 10 लाख आवारा कुत्ते?
10 लाख कुत्तों को पकड़ने के लिए बेहतर गाड़ियां, सैकड़ों कर्मचारी, सैकड़ों बचावकर्मी, प्रशिक्षित हैंडलर, एम्बुलेंस और क्वारंटाइन यूनिट की जरूरत पड़ेगी। दिल्ली नगर निगम के पास अभी इतने संसाधन नहीं हैं। दिल्ली के 12 प्रशासनिक जोन में केवल दो कुत्ता पकड़ने वाली गाड़ियां हैं।
MCD का प्लान क्या है?
दिल्ली में MCD ने हर जोन में 1 हजार खतरनाक कुत्तों को पकड़ने की योजना बनाई है। कुल 12 हजार कुत्तों को पकड़ा जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या भी इतनी ज्यादा है कि एमसीडी के अधिकारियों के माथे की नस दुख जाएगी।
नसबंदी अभियान का क्या हुआ?
MCD की एक रिपोर्ट बताती है कि बीते 3 साल में 2,70,172 कुत्तों की नसबंदी की गई। प्रति माह लगभग 10,000 कुत्तों की नसबंदी हुई। अधिकारियों का दावा है कि करीब 7 लाख कुत्तों की नसबंदी हो गई। जो लोग जमीन पर हैं उनका कहना है कि अगर ऐसा होता तो कुत्तों की आबादी बेतहाशा नहीं बढ़ती। विशेषज्ञों का कहना है कि कुत्तों की आबादी को स्थिर करने के लिए हर इलाके में 70% से अधिक नसबंदी कवरेज की जरूरत है।
क्या सोच रहे हैं सामाजिक संगठन?
पशु कल्याण समूहों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना की है। उनका कहना है कि ऐसे फैसले लोगों में गुस्सा भड़काएंगे, कई लोग जो पशुओं के प्रति संवेदनशील हैं, उनकी भावनाएं आहत होंगी। MCD की सुविधाएं पहले से ही सवालों के घेरे में रहती हैं।
दिल्ली में अब होगा क्या?
दिल्ली की नागरिक संस्थाएं उन जगहों की तलाश करेंगी, जहां कुत्तों को रखा जाएगा। खतरनाक और आक्रामक कुत्तों की पहचान की जाएगी।
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