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बेलगावी सीमा को लेकर फिर रार! आदित्य ठाकरे ने की बड़ी मांग

महाराष्ट्र एकीकरण समिति संगठन ने बेलगावी में एक सभा का आयोजन किया था, लेकिन कर्नाटक सरकार ने सभा पर रोक लगा दी और महाराष्ट्र के नेताओं के राज्य में प्रवेश पर बैन लगा दिया।

shiv sena ADITYA THACKREY.

Source: PTI

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महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगावी जिले को लेकर पुराना अंतरराज्यीय विवाद है। अब एक बार फिर से बेलगावी को लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र के नेताओं के बीच इसे लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है। शिवसेना (यूटीबी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कर्नाटक पर बड़ा आरोप लगाते हुए बेलगावी में मराठी भाषी लोगों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया है। 

मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर जश्न मनाया जा रहा है, वहीं पड़ोसी राज्य कर्नाटक में बेलगावी में स्थिति बिगड़ रही है।

कर्नाटक सरकार ने सभा पर रोक लगाई

सोमवार को कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है। इसका महाराष्ट्र एकीकरण समिति के सदस्य विरोध कर रहे हैं। महाराष्ट्र एकीकरण समिति संगठन ने बेलगावी में एक सभा का आयोजन किया था, लेकिन कर्नाटक सरकार ने सभा पर रोक लगा दी और महाराष्ट्र के नेताओं के राज्य में प्रवेश पर बैन लगा दिया।

बेलगावी में मराठी भाषी लोगों का दमन किया जा रहा

 

आदित्य ठाकरे ने मामले को लेकर पूछा कि बेलगावी में मराठी भाषी लोगों का दमन किया जा रहा है। कल से क्षेत्र में स्थिति बिगड़ती जा रही है। हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जा रहा है। पिछले 'असंवैधानिक' मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि वे विवादित क्षेत्र में रहने वाले मराठी भाषी लोगों को अतिरिक्त धनराशि देंगे। उस आश्वासन का क्या हुआ?"

केंद्र शासित प्रदेश घोषित हो बेलगावी 

 

उन्होंने सवाल किया कि क्या केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार बेलगावी को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के लिए तैयार है। आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि हमारी मांग थी और है कि बेलगावी को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए।

 

क्या है बेलगावी सीमा विवाद

 

बता दें कि बेलागवी सीमा विवाद का मुद्दा 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद का है। महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि इसमें मराठी भाषी लोगों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं। इसमें महाराष्ट्र 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा है।

 

यह विवाद साल 1956 में शुरू हुआ था। राज्य पुनर्गठन अधिनियम संसद से पास होकर अस्तित्व में आया तो महाराष्ट्र और कर्नाटक अपनी सीमाओं के कुछ गांव और कस्बों को भाषायी आधार पर अपने राज्य में शामिल किए जाने की मांग करते हैं। दोनों राज्यों के बीच बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार की सीमा को लेकर विवाद है। 

 

इस विवाद में सबसे ज्यादा बेलगावी चर्चा में रहता है । महाराष्ट्र से सटा यह इलाका कर्नाटक की सीमा क्षेत्र में आता है। दोनों राज्यों के बीच यह विवाद कभी भी राजनीतिक रंग ले लेता है। 


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