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सर्वाइकल कैंसर: बचाव से वैक्सिनेशन तक, सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

महिलाओं में दूसरा होने वाला सबसे आम सर्वाइकल कैंसर है। हर 8 मिनट में एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से होती है। आइए जानते हैं क्या है इसके लक्षण और बचाव।

cervical cancer

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: freepik)

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कैंसर एक घातक बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है। हर साल कैंसर से लाखों लोगों की मौत होती है। खासतौर से महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर सबसे आम है। महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम सर्वाइकल कैंसर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल 1.27 लाख से ज्यादा सर्वाइकल कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। हर 8 मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत होती है।

 

नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (NAMS) ने कैंसर को नोटिफाएबल बीमारी (जिसकी जानकारी सरकार को देनी होगी) घोषित करने की सिफारिश की है। साथ ही संस्था का मानना है कि देश में ही बने एचपीवी (HPV) टेस्ट और वैक्सीन को जल्द ही राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल किया जाए, जिससे कैंसर की रोकथाम और इलाज की प्रक्रिया और बेहतर होगी। आइए जानते हैं क्या है यह बीमारी और इससे कैसे बचाव कर सकते हैं।

 

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क्या होता है सर्वाइकल कैंसर

 

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के यूटरस के निचले हिस्से यानी सर्विक्स में होता है। यह हिस्सा यूटरस को योनी से जोड़ता है। यह कैंसर तब होता है जब सर्विक्स के सेल्स आसामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। सही समय पर इलाज ना मिलने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। यह कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस संक्रमण की वजह से होता है। यह वायरस इंटरकोर्स के जरिए फैलता है। इसके अलावा बार- बार पार्टनर बदलने या बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करने सो होता है। यह कैंसर स्मोकिंग की वजह से भी हो सकता है।

 

सर्वाइकल कैंसर को कहा जाता है साइलेंट किलर

 

शुरुआत में सर्वाइक्ल कैंसर का लक्षण पता नहीं चलता है। जब कैंसर फैल जाता है उसके बाद लक्षण दिखाई देते हैं इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है।

 

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सर्वाइक्ल कैंसर के लक्षण

  • इंटरकोर्स के समय ब्लीडिंग आना
  • व्हाइट डिस्चार्ज से बदबू आना
  • कमर, पेट या पैल्विक एरिया में अक्सर दर्द रहना
  • पेशाब करते समय जलन या दर्द होना
  • शरीर में खून की कमी
  • थकावट

कैसे करें बचाव

  • एचपीवी वैक्सीन लगवाए- 9 से 26 साल की उम्र में इस वैक्सीन को लगवाना प्रभावी माना जाता है।
  • पैप स्मीयर टेस्ट- यह एक स्क्रीनिंग टेस्ट है जिसकी मदद से आप कैंसर के शुरुआती लक्षण को पता लगा सकते हैं। 21 साल की उम्र से हर 3 साल इस टेस्ट को करवाना चाहिए।
  • इंटरकोर्स करते समय कंडोम का उपयोग करें।
    स्मोकिंग करने से बचें।
  • निजी अंगों में स्वच्छता रखें और संक्रमण से बचाव करें।

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।

 

 

 

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