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सीरिया की आर्मी में अब जिहादी भी शामिल होंगे, ट्रंप ने दे दी मंजूरी

अमेरिका ने सीरिया की सेना में हजारों पूर्व जिहादी लड़ाकों को शामिल करने की सीरिया सरकार की योजना को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के साथ ही अमेरिका ने कुछ शर्तें भी रखी हैं।

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डोनाल्ड ट्रंप, photo credit: PTI

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सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के नेतृत्व वाली नई सरकार ने देश की सेना में हजारों विदेशी पूर्व जिहादी लड़ाकों को शामिल करने की योजना बनाई है। इस योजना में सबसे बड़ी रुकावट अमेरिका था और अब अमेरिका ने सीरिया की इस योजना को सशर्त समर्थन दे दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत ने स्पष्ट किया है कि यह समर्थन तभी जारी रहेगा जब इस प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ अंजाम दिया जाएगा।

 

सीरियाई रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस योजना के तहत लगभग 3,500 विदेशी लड़ाकों को सेना में शामिल किया जाएगा। इन विदेशी लड़ाकों में अधिकतर चीन और उसके पड़ोसी देशों से आए उइगर मुस्लिम हैं। इन लड़ाकों को एक नए सैन्य डिवीजन '84वीं सीरियाई सेना डिवीजन'  में शामिल किया जाएगा। इस डिवीजन में सीरियाई सैनिकों को भी शामिल किया जाएगा ताकि सेना में संतुलन बना रहे। सीरिया के लिए अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधारने की कोशिशों में यही मुद्दा सबसे बड़ी रुकावटों में से एक बना हुआ है। 

 

क्या बोले ट्रंप के विशेष राजदूत?

 

सीरिया की राजधानी दमिश्क में मीडिया ने तुर्की में अमेरिकी राजदूत थॉमस बैरक से सवाल किया कि क्या वाशिंगटन ने सीरिया की नई सेना में विदेशी लड़ाकों को शामिल करने की मंजूरी दी है। इसके जवाब में  थॉमस बैरक ने कहा, 'मैं कहूंगा कि यह पारदर्शिता के साथ एक समझ है।' बता दें कि थॉमस बैरक को  पिछले महीने सीरिया में ट्रम्प के विशेष दूत के रूप में भेजा गया था। उन्होंने कहा कि लड़ाकों में कई सीरिया के नए प्रशासन के प्रति बहुत वफादार हैं और उन्हें नए राज्य प्रोजेक्ट से बाहर रखने के बजाय इसके अंदर रखना बेहतर था।

 

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अमेरिका ने बदला अपना स्टैंड

 

सीरिया में पिछले 13 सालों से चल रहे गृह युद्ध के दौरान कई विदेशी लड़ाके हयात तहरीर अल-शाम (HTS) नाम के विद्रोही समूह में शामिल हो गए थे। यह समूह पहले अल-कायदा से जुड़ा हुआ था। जब पिछले साल HTS ने राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाकर सरकार पर कब्जा किया, तब से इन विदेशी लड़ाकों का भविष्य एक बड़ा सवाल बन गया है। पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधारने की कोशिशों में यही मुद्दा सबसे बड़ी रुकावटों में से एक बना हुआ है। अमेरिका और अन्य देशों को डर है कि अगर इन विदेशी जिहादियों को सेना या सरकार में जगह दी गई, तो इससे सुरक्षा पर खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए अमेरिका मई की शुरुआत तक सीरिया की नई सरकार से यह मांग कर रहा था कि वह इन विदेशी लड़ाकों को सुरक्षा बलों में शामिल न करे।

 

अमेरिका ने रखी शर्तें


अमेरिका और दूसरे देशों को इस बात की चिंता है कि सीरिया की सेना में अगर इन लड़ाकों को जगह दी गई तो यह सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। अमेरिका ने साफ किया है कि सीरिया की सेना में पूर्व जिहादी लड़ाकों को शामिल करने को मंजूरी दी गई है लेकिन सीरिया को शर्तों का पालन करना होगा। अमेरिकी राजदूत थॉमस बैरक ने कहा,'हम इस योजना का समर्थन कर सकते हैं यदि इसे पारदर्शी ढंग से लागू किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि इन लड़ाकों का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों में नहीं होगा।' उन्होंने आगे यह भी कहा कि अमेरिका इस प्रक्रिया की निगरानी करेगा और यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई गई तो समर्थन वापस लिया जा सकता है।

 

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता


इस योजना को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता भी जताई जा रही है। चीन ने पहले ही सीरिया में उइगर लड़ाकों की मौजूदगी को लेकर आपत्ति जताई है। चीन का मानना है कि ये लड़ाके भविष्य में चीन की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। यह चिंता अकेले चीन की ही नहीं बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की है। सीरियाई अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि सभी लड़ाकों को एक कठोर प्रक्रिया के तहत सेना में शामिल किया जाएगा और उनकी पूर्व गतिविधियों की पूरी जांच की जाएगी। इसके अलावा लड़ाकों को सेना के अनुशासन का पालन करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। 

 

यह योजना सीरिया के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है लेकिन यह तभी सफल हो सकेगी जब इसे ईमानदारी, पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के साथ लागू किया जाए। सीरिया की सरकार को उम्मीद है कि इन लड़ाकों को सेना में शामिल करने के बाद देश में स्थिरता लाई जा सकेगी। यह रणनीति सीरिया में स्थायित्व और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए अहम हो सकती है। 


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