नेपाल के एक-एक नेता पर क्यों टूट पड़े Gen-Z? पूर्व राजदूत से समझिए
दुनिया
• INTERNATIONAL FALLS 09 Sept 2025, (अपडेटेड 10 Sept 2025, 8:34 AM IST)
नेपाल में जो स्थिति पैदा हुई उसके बारे में एक्सपर्ट्स कई बातें बताते हैं। इस बारे में नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रंजीत राय ने बताया कि इसके पीछे की वजह क्या है?

नेपाल में विरोध प्रदर्शन करता युवा । Photo Credit: PTI
नेपाल में हाल के दिनों में चल रहे विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक अस्थिरता ने न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चिंता बढ़ा दी है। नेपाल में शुरू हुए इस आंदोलन को ‘जेन ज़ी’ आंदोलन कहा जा रहा है क्योंकि इसमें पूरी तरह से युवाओं की ही भागीदारी देखने को मिल रही है। इस विरोध प्रदर्शन ने काफी हिंसक रूप ले लिया है और भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर पर हमला कर दिया और उन्हें पीटा। इसकी तरह से एक और पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर पर उग्र भीड़ ने पहुंचकर आग दी जिसमें उनकी पत्नी गंभीर रूप से जल गईं।
नेपाल में पैदा हुई इस स्थिति के बारे में नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रंजीत राय ने गहरी चिंता जताते हुए इसे एक जटिल और गहरे कारणों से उपजा घरेलू मुद्दा बताया है। उनके अनुसार, यह आंदोलन मुख्य रूप से युवाओं, विशेषकर जेन जी (Generation Z) का नेतृत्वविहीन आंदोलन है, जो देश की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से निराशा और भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्से का नतीजा है। उन्होंने इस पूरे मुद्दे पर विस्तार से बताया।
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बांग्लादेश से मिलता-जुलता
रंजीत राय के अनुसार, नेपाल में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के पीछे गहरे सामाजिक और राजनीतिक कारण हैं। उन्होंने कहा कि देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों ने हाल ही में गठबंधन कर सरकार बनाई थी, जिसका मकसद उनके खिलाफ चल रही भ्रष्टाचार की जांच को रोकना था। इस गठबंधन ने जनता, खासकर युवाओं में, यह भावना पैदा की कि मौजूदा संस्थाएं उनके हितों की रक्षा करने में असमर्थ हैं। इसके परिणामस्वरूप, एक लोकप्रिय नई पार्टी के नेता की गिरफ्तारी ने आग में घी डालने का काम किया। जब आंदोलन ने तेजी पकड़ी तो प्रदर्शनकारियों ने इस नेता को आजाद कराया।
#WATCH | On the reasons behind the ongoing protests in Nepal, Former Indian Ambassador to Nepal, Ranjit Rae says, "There are very deep-seated root causes within Nepal as to why this is happening. So this is a homegrown issue. It should have been handled better by the political… pic.twitter.com/oNZOt0yfCS
— ANI (@ANI) September 9, 2025
राय ने बताया कि यह आंदोलन बांग्लादेश और श्रीलंका में हाल के छात्र आंदोलनों से मिलता-जुलता है, जहां युवाओं ने निराशा और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर व्यवस्था को चुनौती दी। उनके अनुसार नेपाल में भी युवाओं को लगता है कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था उनके भविष्य के लिए कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखा रही है। इस स्थिति में, काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, नेपाल के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख जैसे प्रभावशाली लोग इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं, जिसने इसे और व्यापक बनाया है।
नेतृत्वविहीन आंदोलन
नेपाल में इस आंदोलन की सबसे खास बात यह है कि यह नेतृत्वविहीन है। राय ने कहा, 'कोई नहीं जानता कि इसके नेता कौन हैं।' यह स्थिति आंदोलन को और जटिल बनाती है, क्योंकि बिना किसी स्पष्ट नेतृत्व के यह अनियंत्रित दिशा में जा सकता है। कुछ तत्व इस अस्थिरता का फायदा उठाकर अपनी स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश कर सकते हैं। इस बीच, काठमांडू के मेयर ने लोगों से शांति बनाए रखने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की है।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे ने स्थिति को कुछ हद तक शांत करने की उम्मीद जगाई है। राय का मानना है कि ओली के इस्तीफे से प्रदर्शनकारियों का गुस्सा कम हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह अस्थिरता कब तक सामान्य होगी।
शाही परिवार और सेना की भूमिका
नेपाल में शाही परिवार के समर्थकों ने भी हाल के दिनों में प्रदर्शन किए थे। राय के अनुसार, यह समर्थन इसलिए उभरा क्योंकि लोग मौजूदा राजनेताओं से पूरी तरह निराश हो चुके थे। जनता को लगता है कि कोई भी व्यवस्था मौजूदा व्यवस्था से बेहतर हो सकती है। इस स्थिति में कुछ नए नेता सामने आ रहे हैं, और सेना की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है। राय ने उम्मीद जताई कि इन कारकों के साथ नेपाल में जल्द ही स्थिरता बहाल हो सकती है।
भारत-नेपाल संबंध और क्षेत्रीय प्रभाव
नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा और गहरे सांस्कृतिक-सामाजिक संबंध हैं। इसलिए, नेपाल में अस्थिरता का भारत पर भी प्रभाव पड़ सकता है। राय ने कहा कि भारत इस स्थिति पर गहरी नजर रखे हुए है। नेपाल की स्थिरता न केवल उसके लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और नेपाल के बीच व्यापार, आवागमन, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को देखते हुए, नेपाल में शांति और स्थिरता दोनों देशों के हित में है।
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कैसे शुरू हुआ
नेपाल में चल रहा विरोध प्रदर्शन सरकार द्वारा सोशल मीडिया को बैन किए जाने को लेकर ही शुरू हुआ। सरकार का कहना था कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने सरकार के नियम के मुताबिक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था, इसलिए उन्हें बंद कर दिया गया, लेकिन इससे युवा काफी नाराज हो गए।
हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि नेपाल में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया था और राजनेता काफी भ्रष्टाचार में लिप्त थे इसीलिए यह आंदोलन हुआ।
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