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अमेरिका में FCPA सस्पेंड, गौतम अदाणी के लिए राहत क्यों है ये फैसला?

अमेरिका में फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट 1977 रद्द कर दिया गया है। डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका में विदेशी निवेश के पक्षधर रहे हैं। उनका एक फैसला गौतम अदाणी के लिए राहत बनकर आया है।

Gautam Adani and Donald Trump

गौतम अडानी और डोनाल्ड ट्रम्प। (Photo Credit: Social Media)

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट (FCPA) पर अभी रोक लगा दी है। उन्होंने अमेरिका के न्याय विभाग को दिए गए आदेश में कहा है कि इसके तहत होने वाले एक्शन को रोक दिया जाए। अमेरिकी न्याय विभाग विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर कॉन्ट्रेट हासिल करने वाले अमेरिकियों पर मुकदमा चला सकता था, जिसे रोक दिया गया है।

विदेशी निवेशवकों, अधिकारियों और अमेरिकी अधिकारी अब तक इस कानून के दायरे में आते थे, इसे लागू करने से ही रोक दिया गया है। जो बाइडेन का प्रशासन इसे लेकर बेहद सख्त था। डोनाल्ड ट्रम्प का यह आदेश अटॉर्नी जनरल, पाम बॉन्डी के लिए है। आदेश में कहा गया है कि वे FCPA के तहत होने वाली जांच और कार्रवाई को तब तक के लिए रोक दें, जब तक नई गाइडलाइन जारी नहीं होती है। 

अदाणी के लिए राहत क्यों है ये फैसला?
20 नवंबर को अमेरिकी अधिकारियों ने भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी, एज्यूर पावर ग्लोबल लिमिटेड के बिजनेस एसोसिएट सिरिल कैबनेस और कई अन्य लोगों के खिलाफ FCPA के उल्लंघन के आरोप लगाए थे। कहा गया था कि उन्होंने ये एक डील हासिल करने के लिए 2 हजार करोड़ का घूस अमेरिकी अधिकारियों को दिया था। गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी की गिरफ्तारी तक की मांग उठी थी। 

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न्यूयॉर्क की ग्रैंड जूरी ने उन पर सोलर डील हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया था। ऐसे आरोपों की वजह से अदाणी समूह के शेयर तेजी से लुढके थे। अदाणी ग्रुप ने इन आरोपों को अफवाह बताया था। अदाणी ग्रीन एनर्जी ने नवंबर 2024 में कहा था कि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन पर एफसीपीए के उल्लंघन के आरोप नहीं लगे हैं। अब उन्हें इस फैसले से बड़ी राहत मिल सकती है।

क्यों ट्रम्प ने लिया है यह फैसला?
व्हाइट हाउस की ओर से आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि अमेरिकी कानून में FCPA जटिल हो गया है। इस कानून की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर लागत का बोझ बढ़ रहा है। अमेरिका में विदेशी प्रतिस्पर्धियों को मुश्किलें पेश आ रही हैं। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा अमेरिका पर ही निर्भर है। अमेरिकी कंपनियों को व्यापारिक लाभ दुनिया के हर देश में मिल रहा है। अमेरिका की बेहतरी के लिए FCPA को रोका जा रहा है। 

FCPA एक्ट है क्या?
यह कानून अमेरिका में विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने पर रोक लगाता है। सार्वजनिक तौर पर कारोबार करने वाली कंपनियों के सही रिकॉर्ड और कंपनी की प्रक्रियाओं पर यह एजेंसी नजर रखती है। यह अधिनियम किसी विदेशी अदिकारी को घूस देने, किसी डील के लिए वादा करने और मुहंमांगी रकम मांगने पर रोक लगाता है। 

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FCPA किन पर लागू होता है?
यह कानून अमेरिकी नागरिकों और संस्थाओं पर लागू होता है। अमेरिकी कंपनियों के अधिकारी, निदेशक,कर्मचारी, एजेंट, शेयर होल्डर पर लागू होता है। उन लोगों पर भी लागू होता है, जो विदेशी शख्स डील हासिल करने के लिए घूस देता है। अमेरिका में मौजूद विदेशी कंपनियां भी इस कानून के दायरे में आते हैं। 

FCPA की रडार पर कौन-कौन देश?
अल्जीरिया और ब्राज़ील की कुछ कंपनियां इस अधनियम के तहत आई थीं। दक्षिण अफ्रीका में रिश्वतखोरी बेहद आम है। कॉन्ट्रैक्ट सुरक्षित रखने के लिए यहां भी अधिकारियों को कथित तौर पर घूस दिया गया था। साल 2024 तक जस्टिस डिपार्टमेंट और सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन ने FCPA से जुड़े हुए 26 मामलों का जिक्र किया था। जांच एजेंसी की रडार पर 31 कंपनियां थीं। 


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