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बाबरपुर में पुराने साथी से जीत पाएंगे गोपाल राय या फंसेंगे?

AAP नेता गोपाल राय 2015 से लगातार मंत्री बनते आ रहे हैं। इस बार उनकी सीट पर मामला रोचक हो गया है क्योंकि उनके ही पुराने साथी उनके सामने हैं।

babarpur assembly seat

बाबरपुर विधानसभा, Photo Credit: Khabargaon

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पूर्वी दिल्ली के यमुनापार वाले इलाके में आने वाली यह विधानसभा सीट दो बार से मंत्री गोपाल राय की वजह से चर्चा में रही है। इस बार जैसी चुनौती AAP के सामने पूरी दिल्ली में है। वैसी ही चुनौती बाबरपुर विधानसभा सीट पर गोपाल राय के सामने है। दो बार इस सीट से बंपर वोटों से जीतते आए गोपाल राय को इस बार उनके ही पुराने साथी मोहम्मद इशराक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। मंत्री होने के बावजूद गोपाल राय इस विधानसभा सीट पर साफ-सफाई और सीवरेज की समस्याओं का समाधान नहीं करा पाए हैं, ऐसे में उनके लिए यह लड़ाई काफी मुश्किल हो गई है।

 

इस बार बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है। पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अनिल वशिष्ठ इस बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं। वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर से मुस्लिम कैंडिडेट वाला दांव खेला है और 2015 से 2020 तक सीलमपुर के विधायक रहे मोहम्मद इशराक को बाबरपुर सीट से चुनाव में उतार दिया है। मोहम्मद इशराक पहले AAP में थे लेकिन 2020 में AAP ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। वहीं, AAP ने लगातार चौथी बार भी गोपाल राय पर ही भरोसा जताया है।

 

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इस विधानसभा सीट के अंदर नॉर्थ घोंडा, सुभाष मोहल्ला, घोंडा एक्सटेंशन, मौजपुर, विजय पार्क, कबीर नगर, कर्दम पुरी, छज्जुपुर,ज्योति कॉलोनी, बाबरपुर, जनता मजदूर कॉलोनी और बलबीर नगर जैसे इलाके मुख्य हैं।

बाबरपुर की समस्याएं क्या हैं?

 

पूर्वी दिल्ली की ज्यादातर विधानसभाओं में कच्ची कॉलोनियां और घनी बस्तियां खूब हैं। जनसंख्या घनत्व तब और भारी महसूस होता है जब बारिश के समय सड़क पर पानी भर जाते है। पुराने और खराब हो चुके सीवेज सिस्टम के कारण गंदगी और जलभराव इस इलाके की बड़ी समस्या है। अपराध भी इस इलाके की बड़ी समस्या है और महिला सुरक्षा को इस बार चुनाव में भी जोर-शोर से उछाला जा रहा है। 

 

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विधानसभा का इतिहास

 

साल 1993 में में बनी इस विधानसभा सीट पर 2013 तक भारतीय जनता पार्टी का दबदबा था। 2013 में भी इस सीट पर बीजेपी के नरेश गौड़ ने जीत हासिल की थी। तब AAP के गोपाल राय तीसरे नंबर पर रह गए थे। 1993 में नरेश गौड़ ने यहां से खाता खोला तो 1998 में भी जीते। 2003 में कांग्रेस के विनय शर्मा ने करीबी मुकाबले में नरेश गौड़ को हरा दिया था। हालांकि, 2008 में नरेश गौड़ ने यहां फिर से बीजेपी की वापसी करवाई। तब कांग्रेस के अनिल कुमार वशिष्ठ नंबर तीन पर चले गए थे। 2013 में नरेश गौड़ ने कांग्रेस के जाकिर खान और AAP के गोपाल राय को हराया। 2015 में AAP की लहर में गोपाल राय नरेश गौड़ को बड़े अंतर से चुनाव हराने में कामयाब हुए। 2020 में फिर गोपाल राय ने जीत हासिल की। दोनों ही बार वह मंत्री भी बने।

2020 में क्या हुआ?

 

2015 में चुनाव हार चुके नरेश गौड़ को बीजेपी ने एक मौका और दिया। वहीं, कांग्रेस ने अन्वीक्षा जैन को उतारा जो यहां से पहली बार चुनाव लड़ीं। गोपाल राय मंत्री रहते हुए इस सीट से चुनाव लड़े। AAP की लहर 2020 में थी और इसका फायदा गोपाल राय को भी मिला। 2013 में तीसरे नंबर पर रहे गोपाल राय 2015 के बाद 2020 में भी इस सीट से बंपर वोटों से चुनाव जीते। उन्हें कुल 84,766 वोट मिले जबकि बीजेपी के नरेश गौड़ 51,714 वोट पाकर नंबर 2 पर रहे। कांग्रेस की अन्वीक्षा जैन को सिर्फ 5131 वोट मिले थे।

बाबरपुर का समीकरण

 

इस सीट पर मुस्लिम मतदाता बहुलता में हैं। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस ने एक बार जाकिर खान और दूसरी बार अन्वीक्षा जैन को टिकट दिया था। हालांकि, लोगों ने AAP को जबरदस्त समर्थन दिया। इस बार मोहम्मद इशराक के चुनाव में उतरने से कांग्रेस को उम्मीद है कि 2013 की तरह कांटे की टक्कर होगी। अगर मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता है तो गोपाल राय के लिए यहां से जीत पाना मुश्किल हो जाएगा। 

 


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