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पैसा बांटने वाले बैंकों की कमाई ही क्यों घट जाएगी? 4 बड़े कारण

IIFL ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 2025-26 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच बैंकों की कमाई कम हो सकती है। बैंकों की कमाई में कमी आने के IIFL ने 4 कारण बताए हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

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सरकारों और बड़े-बड़े बिजनेस घरानों से लेकर आम लोगों को लोन बैंकों से मिलता हो। मगर क्या हो कि जब बैंक लोन ही न दे? तो इसका असर सीधे तौर पर बैंक की कमाई पर पड़ता है। अब एक नई रिपोर्ट आई है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि 2025-26 की पहली तिमाही में बैंकों की कमाई कुछ कम हो सकती है। 


यह अनुमान IIFL कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025-26 की पहली तिमाही में बैंकों का टैक्स के बाद होने वाले प्रॉफिट (PAT) कम हो सकता है। अनुमान है कि अप्रैल से जून तिमाही में बैंकों की कमाई सालाना आधार पर 2% और तिमाही के आधार पर 4% तक की कमी आ सकती है। 


इसका मतलब हुआ कि बैंकों ने 2024-25 की पहली तिमाही में जितनी कमाई की थी, उससे 2% कम कमाई 2025-26 की पहली तिमाही में होगी।

 

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कमाई कम होने के कारण क्या?

IIFL ने अपनी रिपोर्ट में बैंकों की कमाई कम होने के पीछे तीन कारण बताए हैं। पहला- कमजोर लोन ग्रोथ। दूसरा- नेट इंट्रेस्ट मार्जिन (NIM) में कमी। तीसरा- कम फी इनकम। और चौथा- हायर स्लीपेजेस यानी लोन डिफॉल्ट। 

कैसे कम हो सकती है कमाई?

  1. कमजोर लोन ग्रोथः IIFL की रिपोर्ट के मुताबिक, लोग और कंपनियां कम कर्ज ले रही हैं। सालाना आधार पर लोन ग्रोथ रेट 11% से घटकर 9.4% रह गई है। अप्रैल-जून तिमाही (13 जून तक) में लोन ग्रोथ सिर्फ 0.4% रही है, जबकि पिछले कुछ सालों में पहली तिमाही में यह ग्रोथ रेट 1.5 से 2% तक रहती थी।
  2. NIM में कमीः लोन पर मिलने वाले ब्याज और डिपॉजिट पर देने वाले ब्याज के बाद होने वाली कमाई को नेट इंट्रेस्ट मार्जिन (NIM) कहा जाता है। इस तिमाही में NIM में 8 से 25 बेसिस पॉइंट की गिरावट आने का अनुमान है। लोन पर मिलने वाले ब्याज में भी 10 से 20 बेसिस पॉइंट्स की कमी आने की संभावना है।
  3. कम फी इनकमः क्रेडिट कार्ड फी और लोन प्रोसेसिंग फी से भी बैंकों को कमाई होती है। पहली तिमाही में आमतौर पर लोग कम खर्च करते हैं, जिसका असर बैंकों को फी से होने वाली कमाई पर पड़ता है। इसे 'मौसमी कमजोरी' कहा जाता है।
  4. हायर स्लीपेजेसः जब किसी लोन की EMI नहीं चुकाई जाती है और वह डिफॉल्ट होने की कगार पर होते हैं तो इसे हायर स्लीपेजेस कहा जाता है। इस तिमाही में मौसमी कारणों और बैड लोन के लिए रिजर्व रखने से लोन डिफॉल्ट का खर्च बढ़ने की संभावना है।

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टाइट हो गई बैंकों की हालत

पहली तिमाही में बैंकों की हालत टाइट रहने का अनुमान है। IIFL ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लोन ग्रोथ में कमी आई है, जिसका असर बैंकों की कमाई पर पड़ा है। लोन डिमांड में कमी और डिपॉजिट रेट में कमी आने से सरकारी और प्राइवेट बैंकों की कमाई कम होने का अनुमान है।

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