भारत में बाढ़ एक बार फिर गंभीर राष्ट्रीय आपदा का रूप ले चुकी है। मानसून के दौरान हर साल देश के कई हिस्सों में भारी वर्षा होती है, लेकिन इस बार उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक बाढ़ की चपेट में आए क्षेत्रों की संख्या और तबाही की तीव्रता ने चिंताओं को और गहरा कर दिया है। असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। गांवों के गांव पानी में डूब गए हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं, सड़कों और पुलों को नुकसान पहुंचा है और जनजीवन बुरी तरह ठप हो गया है।
बाढ़ केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं रही, यह अब जलवायु परिवर्तन, असंतुलित शहरीकरण, कमजोर जल प्रबंधन और बेतरतीब निर्माण के कारण एक मानव निर्मित संकट भी बन गई है। भारत में बाढ़ से हर साल अरबों रुपये का नुकसान होता है और हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़ते हैं। मौसम विभाग की चेतावनियों, सैटेलाइट निगरानी और आपदा राहत एजेंसियों की तत्परता के बावजूद, ज़मीनी स्तर पर बचाव और पुनर्वास की चुनौतियां बनी रहती हैं। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि किन-किन राज्यों में बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति बनी हुई है।
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हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। भारी बारिश की वजह से करीब 400 सड़कों को बंद कर दिया गया है। मंडी से होकर जाने वाली करीब 170 सड़कों को बंद कर दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मलाना के कॉफर डैम में हल्की दरार की संभावना जताई जा रही है। अगर यह टूटता है तो भारी तबाही झेलनी पड़ेगी।
ब्यास और इसकी सहायक नदियों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। कहा जा रहा है कि सुजानपुर के पास बांध में दरार आ गई है। राज्य में सबसे ज्यादा बारिश उना जिले में हुई है। हालत इतनी खराब है कि बाजार में सड़कों पर पानी भरा हुआ है। यहां तक कि चंडीगढ़-धर्मशाला नेशनल हाईवे पर भी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश
पूरे उत्तर प्रदेश में भी बाढ़ की भयानक स्थिति है। वाराणसी में गंगा उफान पर है और सड़कों पर व घरों में पानी भर गया है। प्रयागरा में भी गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बांदा में भी केन नदी खतरे के निशान से ऊपर चल रही है और चंबल नदी का भी जलस्तर आगरा में बढ़ा हुआ है।
प्रयागराज में एक मंजिल तक घर डूब गए हैं और लगभग 250 गांवों में किसी भी तरह का कम्युनिकेशन नहीं रह गया है। इस बाढ़ से लगभग 10 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. पानी में कहीं लाशें उतराती दिख रही हैं तो कहीं पर जानवरों बहते हुए दिख रहे है। लगभग 10 हजार घरों में पानी घुस चुका है और लोग अपने अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट हो रहे हैं। रास्ते डूब गए हैं और नावें चल रही हैं। लोगों को दवाएं और सब्जियां नावों से उपलब्ध कराई जा रही हैं.
पंजाब
पंजाब में लगातार हो रही बारिश की वजह से भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर पर बहने वाले उझ दरिया में पानी का स्तर काफी बढ़ गया था। इसकी वजह से उन इलाकों में सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया था।
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राजस्थान
राजस्थान में भी भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। नदियां और नाले उफान पर हैं और सड़कों पर पानी भरने की वजह से आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जयपुर, कोटा, उदयपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक और अजमेर सहित कई जिलों में जलभराव की गंभीर स्थिति बनी हुई है।
राजस्थान की बारिश ने 7 दशक पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इस बार जुलाई में औसतन 285 MM बारिश दर्ज की गई है, जो लंबी अवधि के औसत 161.4 MM से 77% ज्यादा है। यह बीते 69 सालों में राजस्थान में हुई दूसरी सबसे ज्यादा बरसात मानी जा रही है. इससे पहले जुलाई माह में सर्वाधिक औसत वर्षा का रिकॉर्ड वर्ष 1956 में 308 मिमी दर्ज किया गया था।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में भी बारिश का भारी कहर जारी है। राजधानी भोपाल में भी भारी बारिश दर्ज की गई। सिर्फ 36 घंटों में हुई भारी बारिश की वजह से जलभराव की स्थिति देखने को मिला।
लगातार हो रही बारिश से कई जिलों में हालात बिगड़े हुए हैं। नदी-नाले उफान पर हैं, जिससे खासतौर पर निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक बारिश का ये दौर इसी तरह जारी रहने की संभावना है।
